26-12-84  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

सत्यता की शक्ति

सत बाप, शिक्षक और सतगुरू अपने सत बच्चों प्रति बोले –

‘‘सर्व शक्तिवान बाप आज विशेष दो सत्ताओं को देख रहे हैं। एक राज्य सत्ता, दूसरी है ईश्वरीय सत्ता। दोनों सत्ताओं का अब संगम पर विशेष पार्ट चल रहा है। राज्य सत्ता हलचल में है। ईश्वरीय सत्ता सदा अचल अविनाशी है। ईश्वरीय सत्ता को सत्यता की शक्ति कहा जाता है क्योंकि देने वाला सत बाप, सत शिक्षक, सतगुरू है। इसलिए सत्यता की शक्ति सदा श्रेष्ठ है। सत्यता की शक्ति द्वारा सतयुग, सचखण्ड स्थापन कर रहे हो। सत अर्थात् अविनाशी। अविनाशी और सच को भी सत कहा जाता है। सच्चा भी है अविनाशी भी है।। तो सत्यता की शक्ति द्वारा अविनाशी वर्सा, अविनाशी पद प्राप्त करने वाली पढ़ाई, अविनाशी वरदान प्राप्त किये हैं? इस प्राप्ति से कोई भी मिटा नहीं सकता। सत्यता की शक्ति से सारी विश्व आप सत्यता की शक्ति वालों का भक्तिमार्ग के आदि से अन्त तक अविनाशी गायन और पूजन करती आती है। अर्थांत् गायन पूजन भी अविनाशी सत हो जाता है। सत अर्थात् सत्य। तो सबसे पहले क्या जाना? अपने आपको ‘सत आत्मा’ जाना। सत बाप के सत्य परिचय को जाना। इस सत्य पहचान से सत्य ज्ञान से सत्यता की शक्ति स्वत: ही सत्य हो जाती। सत्यता की शक्ति द्वारा असत्य रूपी अंधकार, अज्ञान रूपी अंधकार स्वत: ही समाप्त हो जाता है। अज्ञान सदा असत्य होता है। ज्ञान सत है, सत्य है। इसलिए भक्तों ने बाप की महिमा में भी कहा है ‘‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम’’। सत्यता की शक्ति सहज ही प्रकृति जीत, मायाजीत बना देती है। अभी अपने आप से पूछो - सत् बाप के बच्चे हैं तो सत्यता की शक्ति कहाँ तक धारणा की है?

सत्यता के शक्ति की निशानी है - वह सदा निर्भय होगा। जैसे मुरली में सुना है - ‘‘सच तो बिठो नच’’ अर्थात् सत्यता की शक्ति वाला सदा बेफिकर निश्चिन्त होने के कारण, निर्भय होने के कारण खुशी में नाचता रहेगा। जहाँ भय है, चिंता है वहाँ खुशी में नाचना नहीं। अपनी कमज़ोरियों की भी चिंता होती है। अपने संस्कार वा संकल्प कमज़ोर हैं तो सत्य मार्ग होने के कारण मन में अपनी कमज़ोरी का चिंतन चलता जरूर है। कमज़ोरी मन की स्थिति को हलचल में जरूर लाती है। चाहे कितना भी अपने को छिपावे वा आर्टिफीशिअल अल्पकाल के समय प्रमाण, परिस्थिति प्रमाण बाहर से मुस्कराहट भी दिखावे लेकिन सत्यता की शक्ति स्वयं को महसूसता अवश्य कराती है। बाप से और अपने आप से छिप नहीं सकता। दूसरों से छिप सकता है। चाहे अलबेलेपन के कारण अपने आप को भी कभी-कभी महसूस होते हुए भी चला लेवे फिर भी सत्यता की शक्ति मन में उलझन के रूप में, उदासी के रूप में, व्यर्थ संकल्प के रूप में आती जरूर है। क्योंकि सत्यता के आगे असत्य टिक नहीं सकता। जैसे भक्ति मार्ग में चित्र दिखाया है - सागर के बीच साँप के ऊपर नाच रहे हैं। है साँप लेकिन सत्यता की शक्ति से साँप भी नाचने की स्टेज बन जाते हैं। कैसी भी भयानक परिस्थिति हो, माया के विकराल रूप हों, सम्बन्ध सम्पर्क वाले परेशान करने वाले हों, वायुमण्डल कितना भी जहरीला हो लेकिन सत्यता की शक्ति वाला इन सबको खुशी में नाचने की स्टेज बना देता है। तो यह चित्र किसका है? आप सभी का है ना! सभी कृष्ण बनने वाले हैं। इसी में हाथ उठाते हैं ना। राम के चरित्रों में ऐसी बातें नहीं हैं। उसका अभी-अभी वियोग अभी-अभी खुशी है। तो कृष्ण बनने वाली आत्मायें ऐसी स्थिति रूपी स्टेज पर सदा नाचती रहती हैं। कोई प्रकृति वा माया वा व्यक्ति, वैभव उसे हिला नहीं सकता। माया को ही अपनी स्टेज वा शैया बना देगा। यह भी चित्र देखा है ना। साँप को शैया बना दिया अर्थात् विजयी बन गये। तो सत्यता की शक्ति की निशानी सच तो नच यह चित्र है। सत्यता की शक्ति वाले कभी भी डूब नहीं सकते। सत्य की नईया डगमग खेल कर सकती है लेकिन डूब नहीं सकती। डगमगाना भी खेल अनुभव करेंगे। आजकल खेल भी जान बूझ कर उफर नीचे हिलने के बनाते हैं ना। है गिरना लेकिन खेल होने के कारण विजयी अनुभव करते। कितनी भी हलचल होगी लेकिन खेल करने वाला यह समझेगा कि मैंने जीत प्राप्त कर ली। ऐसे सत्यता की शक्ति अर्थात् विजयी के वरदानी अपने को समझते हो? अपना विजयी स्वरूप सदा अनुभव करते हो? अगर अब तक भी कोई हलचल है, भय है तो सत्य के साथ असत्य अभी रहा हुआ है। इसलिए हलचल में ला रहा है। तो चेक करो - संकल्प, दृष्टि, वृत्ति बोल और सम्बन्ध सम्पर्क में सत्यता की शक्ति अचल हैं? अच्छा - आज मिलने वाले बहुत हैं इसलिए इस सत्यता की शक्ति पर, ब्राह्मण जीवन में कैसे विशेषता सम्पन्न चल सकते हैं इसका विस्तार फिर सुनायेंगे। समझा!

डबल विदेशी बच्चों ने क्रिसिमस मनाई कि आज भी क्रिसमस है? ब्राह्मण बच्चों के लिए संगमयुग ही मनाने का युग है। तो रोज नाचो, गाओ, खुशी मनाओ। कल्प के हिसाब से तो संगमयुग थोड़े दिनों के समान है ना। इसलिए संगमयुग का हर दिन बड़ा है। अच्छा –

सभी सत्यता के शक्ति स्वरूप, सत बाप द्वारा सत वरदान वा वर्सा पाने वाले, सदा सत्यता की शक्ति द्वारा विजयी आत्मायें, सदा प्रकृति जीत, मायाजीत, खुशी में नाचने वाले, ऐसे सत बच्चों को सत बाप, शिक्षक और सतगुरू का यादप्यार और नमस्ते।’’

पंजाब में ईश्वरीय सेवाओं की योजनाओं पर आयोजित मीटिंग में जाने हेतु दादी चन्द्रमणी जी बापदादा से छुट्टी ले रही हैं

सभी पंजाब निवासी सो मधुवन निवासी बच्चों को यादप्यार स्वीकार हो। सभी बच्चे सदा ही बेफिकर बादशाह बन रहे हो। क्यों? योगयुक्त बच्चे सदा छत्रछाया के अन्दर रहे हुए हैं। योगी बच्चे पंजाब में नहीं रहते लेकिन बापदादा की छत्रछाया में रहते हैं। चाहे पंजाब में हो चाहे कहाँ भी हो लेकिन छत्रछाया के बीच रहने वाले बच्चे सदा सेफ रहते हैं। अगर हलचल में आये तो कुछ न कुछ चोट लग जाती है। लेकिन अचल रहे तो चोट के स्थान पर होते हुए भी बाल बांका नहीं हो सकता। इसलिए बापदादा का हाथ है, साथ है, तो बेफिकर बादशाह होकर रहो और खूब ऐसे अशान्त वातावरण में शान्ति की किरणें फैलाओ। नाउम्मीद वालों को ईश्वरीय सहारे की उम्मीद दिलाओ। हलचल वालों को अविनाशी सहारे की स्मृति दिलाए अचल बनाओ। यही सेवा पंजाब वालों को विशेष करनी है। पहले भी कहा था कि पंजाब वालों को नाम बाला करने का चांस भी अच्छा है। चारों ओर कोई सहारा नजर नहीं आ रहा है। ऐसे समय पर अनुभव करें कि दिल को आराम देने वाले, दिल को शान्ति का सहारा देने वाले यही श्रेष्ठ आत्मायें हैं। अशान्ति के समय शान्ति का महत्व होता है तो ऐसे टाइम पर यह अनुभव कराना, यही प्रत्यक्षता का एक निमित्त आधार बन जाता है। तो पंजाब वालों को डरना नहीं है लेकिन ऐसे समय पर वह अनुभव करें कि और सभी डराने वाले हैं लेकिन यह सहारा देने वाले हैं ऐसा कोई मीटिंग करके प्लैन बनाओ जो अशान्त आत्मायें हैं उन्हों के संगठन में जाकर शान्ति का अनुभव कराओ। एक दो को भी शान्ति की अनुभूति कराई तो एक दो से लहर फैलती जायेगी और आवाज़ बुलन्द हो जायेगा। मीटिंग कर रहे हैं, बहुत अच्छा, हिम्मत वाले हो, हुल्लास वाले हो और सदा ही हर कार्य में सहयोगी स्नेही साथ रहे हो और सदा रहेंगे। पंजाब का नम्बर पीछे नहीं है, आगे है। पंजाब शेर कहा जाता है, शेर पीछे नहीं रहते, आगे रहते हैं। जो भी प्रोग्राम मिले उसमें हाँ जी, हाँ जी करना तो असम्भव ही सम्भव हो जायेगा। अच्छा –

सभी बच्चों से मिलन के बाद 5.30 बजे प्रात: बापदादा ने सतगुरूवार की यादप्यार दी

चारों ओर के सच्चे-सच्चे सत-बाप, सत-शिक्षक, सतगुरू के अति समीप, स्नेही, सदा साथी बच्चों को सतगुरूवार के दिन बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो। आज सतगुरूवार के दिन बापदादा सभी को सदा सफलता स्वरूप रहो, सदा हिम्मत हुल्लास में रहो, सदा बाप की छत्रछाया के अन्दर सेफ रहो, सदा एक बल एक भरोसे में स्थित रह साक्षी हो सब दृश्य देखते हुए हर्षित रहो, ऐसे विशेष स्नेह भरे वरदान दे रहे हैं। इन्हीं वरदानों को सदा स्मृति में रखते हुए समर्थ रहो, सदा याद रहे और सदा याद में रहो। अच्छा - सभी को गुडमार्निंग और सदा हर दिन की बधाई। अच्छा –